नई दिल्ली, अक्टूबर 6 -- सुशांत सरीन,सीनियर फेलो, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में इन दिनों जो आंदोलन चल रहा है, उसके बीज पुराने हैं। बीते कुछ वर्षों से वहां के राजनीतिक हालात खराब होते जा रहे हैं और लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। दरअसल, जैसे-जैसे पाकिस्तानी हुकूमत की आर्थिक स्थिति खराब होती गई, यहां दी जाने वाली सब्सिडी में वह कटौती करती गई। इससे यहां की अर्थव्यवस्था बिगड़ने लगी और दबाव बनना शुरू हो गया। और, आज हम देख सकते हैं कि बिजली की दरों या आटे की कीमतों को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं। दरअसल, दिक्कत यह है कि यहां वही लोग सत्ता में रहे हैं, जिनको पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान का समर्थन मिलता रहा है। वे जनता की नुमाइंदगी नहीं कर रहे थे, बल्कि फौज के गुण गाते रहे हैं। बैरिस्टर सुल्तान महमूद चौधरी हों या फिर ...
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