लखीसराय, नवम्बर 27 -- लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। बेहतर मातृ एवं शिशु पोषण सुनिश्चित कराना हमेशा से ही एक चुनौती रही है। मातृ एवं शिशुओं को कुपोषण के दंश से बचाने के लिए पोषण पे ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना की एक शरीर के लिए शुद्ध हवा। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एके भारती ने बताया कि सही और संतुलित पोषण न मिलने से बच्चे बौनेपन के शिकार हो जाते हैं। इसलिए प्रसव के एक घंटे के भीतर ही शिशु को स्तनपान जरुर कराना चाहिए। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जबकि शिशु जन्म के 6 महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। इस दौरान ऊपर से पानी भी शिशु को नहीं देना चाहिए। छह माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार है जरूरी- डॉ. एके भारती ने बताया कि 6 माह के बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से शुरू हो जा...