नई दिल्ली, मई 31 -- गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं। एक-दो दिन की मौज-मस्ती के बाद अब बच्चों के मुंह से यहीं सुनाई दे रहा है- मम्मा बोर हो रहा हूं। तो बोर होने दीजिए। अपने लाडले की बोरियत पर परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि खुश हो जाइये। कहिए कि कुछ नया सोचो, क्योंकि उनकी बोरियत, वह समय है जिस वक्त वह बिल्कुल खाली होते हैं। यह वक्त है, बहुत कुछ नया करने और सीखने का। यह वह वक्त है, जिसमें वह खुद से देखने, सोचने, समझने और निर्णय लेने का हुनर सीख सकते हैं। कुछ नया गढ़ सकते हैं। जिंदगी से जुड़ सकते हैं। बस जरूरत है, मौके का फायदा उठाने और अपनी बोरियत को सही वक्त पर दूर भगाने की ताकि समय बिताने के साथ वह अपना भविष्य भी संवर सके।आती है आत्मनिर्भरता बोरियत से आत्मनिर्भरता आ सकती है? जी, सही पढ़ा आपने। जब बच्चे अकेले होते हैं और बोर हो रहे...
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