हरिद्वार, नवम्बर 18 -- शांतिकुंज स्थित गायत्री विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय उत्सव-25 के समापन पर मुख्य अतिथि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि विद्यापीठ के बच्चों की प्रस्तुतियां केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की जीवंत अभिव्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में आत्मविश्वास, अनुशासन और मूल्यबोध विकसित होता है। गायत्री विद्यापीठ की प्रबंधिका शैफाली पंड्या ने बच्चों को नवांकुर प्रतिभाएं बताते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि ने नौनिहालों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम का शुभारम्भ रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजे बच्चों द्वारा प्रस्तुत गढ़वाली लोक नृत्य से हुआ। इसके बाद मंचित कृष्ण-सुदामा मिलन ने दर्शकों की आंखों को नम कर दिया। काल...