मैनपुरी, मई 31 -- कर्मयोग, अभ्युदय एवं विकसित भारत संगोष्ठी में पहुंचे प्रमुख सचिव समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण एल. वेंकटेश्वर लू ने कहा कि कर्मयोग से जिसने अपने चित्त को धोया है, उसे ही ईश्वरीय सत्ता का बोध हुआ है। धर्म का मतलब प्रेम है, स्वार्थ, छल-कपट करने वाले को ईश्वरीय स्पर्श नहीं हो सकता। विज्ञान कहां इस्तेमाल किया जाना है, कैसे काम किया जाएगा, ये सभी दिमाग में फीड है। किस चीज का कैसे उपयोग करना है, कब करना है, इसका फैसला इंसान को स्वयं करना होगा। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे माता-पिता की बात नहीं सुनते। हो सकता है कि माता-पिता में बाहरी ज्ञान की कमी हो। बच्चों में संस्कार की कमी भी हो सकती है। बच्चे मोबाइल, टीवी पर क्या देख रहे हैं, भोजन में क्या खा रहे हैं, इस पर माता-पिता को ही नजर रखनी है। बाजार के लोगों का इस संबंध में कोई लेना...