विधि संवाददाता, अक्टूबर 19 -- Minor mother and her child: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग मां को बच्चे सहित राजकीय आश्रय गृह से मुक्त करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उसे वयस्क होने तक वहीं रहना होगा। कोर्ट ने उसके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए सीएमओ कानपुर को हर महीने कम से कम दो बार डॉक्टर भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने नाबालिग लड़की की सास की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ रहने से वयस्क पति भी पाक्सो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए उत्तरदायी होगा। ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग लड़की को वयस्क पति के साथ रहने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। यह भी पढ़ें- गली में लड़की को पकड़कर अश्लील हरकतें करने लगा किशोर, सीस...