हेमलता कौशिक। नई दिल्ली, जुलाई 24 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में पिता की कस्टडी में बच्चे के रहने को क्रूरता मानने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि दहेज उत्पीड़न में बच्चे को शामिल करना उचित नहीं है। पीठ ने कहा कि बच्चे पर जितना अधिकार मां का होता है उतना ही पिता का भी होता है। यदि बच्चा पिता के पास है तो इसे मां के साथ क्रूरता या उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने मामले में महिला के आरोपों को बेबुनियाद माना है। पेश मामले में पति-पत्नी का आपसी विवाद होने के बाद बच्चा पिता के पास रह गया था, जबकि पत्नी अपनी मर्जी से ससुराल छोड़ कर चली गई थी। महिला का कहना था कि पति व ससुराल पक्ष के लोग उसे दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। इस बाबत पत्नी ने वर्ष 2015 में दहेज उत्पीड़न की प्राथम...