देहरादून, मई 16 -- श्री सनातन धर्म सभा गीता भवन राजा रोड में चल रही शिव के भक्त राम, राम के भक्त शिव विषयक आध्यात्मिक प्रवचन में संत मैथिलीशरण महाराज ने पांचवें दिन की कथा में कहा कि बंधन तब बंधन है जब आप बंध गये, यदि आपने भगवान की कृपा का दर्शन करने के लिए बंधन स्वीकार किया है तो मुक्ति आपका स्वरूप है। हनुमान जी ने मेघनाद का बंधन इसलिए स्वीकार किया क्योंकि उन्होंने त्रिजटा के सपने में भगवान की लीला दिखाई दी। हनुमान जी ने सोचा कि वह स्वयं बंध जायेंगे। प्रभु श्रीराम के संकल्प में लंका को जलाना है तो लंका भी जल जायेगी और हम जलाने वाले भी नहीं बनेंगे। अंत में वही हुआ कि लंका के विध्वंस का कारण रावण की ही योजना बनी। उसने खुद ही अपनी राक्षसों को हनुमान की पूंछ में आग लगाने को कह दिया। भगवान राम ने रावण की क्रोधाग्नि से विभीषण को बचा लिया और हन...