कुशीनगर, फरवरी 18 -- कुशीनगर। निज संवाददाता पडरौना शहर में ब्रिटिश हुकूमत के जमाने की पडरौना चीनी मिल को बंद हुए 12 साल बीत चुके हैं, लेकिन न तो चीनी मिल चलाने की दिशा में कोई सार्थक पहल हो सकी और न किसानों व श्रमिकों के बकाए रुपये ही दिए गए। यहां तक कि 30 से अधिक बार इस चीनी मिल की नीलामी की तारीख पड़ी, लेकिन नीलामी की प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ी। अब यह चीनी मिल और इसके दफ्तरों के भवन खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। चीनी मिल के जमीन की देखरेख न होने के कारण लोगों ने इसके अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है, जिसे खाली कराने के लिए शासन-प्रशासन ने सर्वे शुरू कराया है। बताया जाता है कि इस चीनी मिल को वर्ष 1934 में पडरौना राज दरबार ने बनवाया था। वर्ष 1956 में इस मिल को कानपुर शुगर वर्क्स ने नीलामी के जरिए खरीद लिया। इस मिल का अधिकांश हिस्सा प...
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