बागपत, अप्रैल 18 -- तिलवाड़ा का तिलिस्म भी अब टूट चुका है। यहां से उत्खनन में प्राप्त अति दुर्लभ पुरा संपदा पर दुनियाभर के पुरातत्वविदों, इतिहासकारों की नजरें टिकी हुई हैं। इतिहासकार चाहते हैं कि तिलवाड़ा उत्खनन को और आगे बढ़ाया जाए। उनका मानना है कि इस पुरा सम्पदा पर शोध से कई गहरे राज खुलने वाले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दिसम्बर 2024 को छपरौली के तिलवाड़ा गांव में शुरू किया गया पुरातात्विक उत्खनन कार्य का प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है। टीम के ज्यादातर सदस्य/पुराविद यहां से वापस लौट चुके हैं। यहां से प्राप्त दुर्लभ पुरा संपदा को सुरक्षित कर दिल्ली ले जाने का कार्य भी शुरू हो चुका हैं। कुछ सामान तो यहां से भेज भी दिया गया है। 4000 साल से अधिक पुराने समय के शवाधान केंद्र होने की पुष्टि यहां कार्यरत एएसआई के पुराविद कर चुके हैं। वरि...
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