लखनऊ, नवम्बर 23 -- लखनऊ, कार्यालय संवाददाता जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से रविवार को एमबीए लाइब्रेरी, जगत नारायण रोड के सभागार में यादें फैज व मुक्तिबोध कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें सभी ने माना कि फैज जैसे शायर व मुक्तिबोध जैसे कवि पहले की अपेक्षा आज कहीं ज्यादा जरूरी और प्रेरक हैं। इनका साहित्य दिशावाहक का काम करता है। अध्यक्षता सईदा सायरा ने की। मुख्य वक्ता कवि और जसम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि जहां फैज अहमद फैज इंकलाबी शायर हैं, वही मुक्तिबोध वैचारिक कवि हैं। अपनी वैचारिक प्रखरता की कीमत दोनों को चुकानी पड़ी है। दोनों का संघर्ष शोषण के विरुद्ध है। फैज की शायरी के अनेक रंग हैं। व्यवस्था बदलाव व बग़ावत का अगर एक रंग है, तो मोहब्बत का भी काफी चटक रंग है। श्री किशोर ने कहा कि फैज ने समाजवादी व्यवस्था के लिए संघर्ष किया। ...