गोरखपुर, अगस्त 3 -- खजनी-उनवल, हिन्दुस्तान टीम। आमी नदी में गिराया जा रहा केमिकल युक्त अपशिष्ट जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को तेजी से नष्ट कर रहा है। जल में घुली भारी धातुएं, कार्बनिक रसायन और विषैले तत्व ऑक्सीजन की मात्रा को समाप्त कर कछुआ, मछली व अन्य जीवों के जीवन के लिए घातक बन रहे हैं। परिणाम स्वरूप नदी का जैव विविधता संतुलन पूर्णतः बिगड़ चुका है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी जल स्रोत में बिना शोधन के औद्योगिक अपशिष्ट प्रवाहित करना गैरकानूनी है, लेकिन आमी नदी में यह गतिविधि लगातार जारी है। गंध व दूषित जल के कारण न तटवासी सांस ले पा रहे हैं। न ही पशु नदी के पास जाते हैं। शवदाह स्थलों पर अब शवों का अंतिम संस्कार कर पाना मुश्किल हो गया है, जिससे गरीब ग्रामीणों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। पूर्व में आमी ब...
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