प्रयागराज, सितम्बर 21 -- प्रयागराज, संवाददाता। कोराना काल में कम हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रभाव अभी सांस के मरीजों में देखने को मिल रहा है। अस्थमा की बीमारी में जो दवाएं एक सप्ताह में प्रभावी असर करती थीं वह अब एक माह तक दवा का सेवन करने पर अब असर नहीं करतीं। वहीं यदि युवावस्था में शराब व धूम्रपान का सेवन किया है और उसे बाद में छोड़ भी दिया है तो भी बुढ़ापे में सांस की गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैं। देश में सांस के रोगियों में हर तीसरा मरीज अस्थमा से पीड़ित है। यह विचार रविवार को एएमए सभागार में आयोजित एएमए के 26वें एमएकॉन-2025 समारोह में सांस रोग विशेषज्ञों ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मुंबई की डॉ. अमिता नेने ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस अवसर पर नेने ने टीबी की बीमारी में स्टेरॉयड की समस्या पर विचार साझा कि...