कन्नौज, फरवरी 16 -- कन्नौज। हर उत्सव को फूल अपनी सुगंध से महकाते हैं। हम फूल व्यापारी हैं, हर त्योहार हमारे फूलों से ही गुलजार होता है। इसके बावजूद हमारे जीवन में महक नहीं है। हमारा कोई ठौर है न ठिकाना, अतिक्रमण के नाम पर कब हमारी बगिया उजड़ जाए, यह कोई नहीं जानता। हम सालों से एक स्थायी जगह की आस लिए बैठे हैं। बड़ी-बड़ी दुकानें एक बार बच भी जाएं लेकिन अतिक्रमण का दंश बता हमारी फूलों की दुकान अक्सर सबसे पहले उजाड़ दी जाती है, जो हमारी जिंदगी है। हमारे यहां के फूल किसी की खुशी के साथी बनते हैं तो किसी के दुख के गवाह। फूलों की हमारी इन दुकानों में जीवन के हर रंग बिखरे पड़े हैं। नहीं है तो बस, इनका कोई भी तय ठिकाना। कभी अतिक्रमण की बात कहकर हटाया जाता है तो कभी जाम और गंदगी के जिम्मेदार ठहराकर उजाड़ दिया जाता है। फूल व्यापारियों ने बताया कि जरूरी स...