किशनगंज, दिसम्बर 28 -- किशनगंज, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। किशनगंज की सर्द रातें इस बार सिर्फ़ ठंड की नहीं, बल्कि सिस्टम की बेरुख़ी की कहानी कह रही हैं। आधी रात में जब तापमान तेजी से गिर जाता है, ज़मीन बर्फ़ जैसी ठंडी हो जाती है और हवा शरीर को चीरती हुई निकलती है, तब फुटपाथ पर पड़े गरीब इंसान को अगर कोई सहारा मिलता है तो वह प्रशासन नहीं, बल्कि एक आवारा कुत्ता होता है। कंबल के ऊपर बैठा कुत्ता मानो इंसानियत की आख़िरी पहरेदारी कर रहा हो। मौसम विभाग ने कई दिन पहले ही सीमांचल में कोल्ड वेव और घने कोहरे की चेतावनी जारी कर दी थी। इसके बावजूद ज़मीनी तैयारी नदारद है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सड़कों और बाजार के आसपास दर्जनों लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए रात गुज़ार रहे हैं। जिनके लिए अलाव और रैन बसेरे की योजनाएं बनाई गईं, वे आज भी फुटपाथ पर ठंड से जंग...