जमशेदपुर, मार्च 19 -- निजी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा के बाद रिजल्ट जारी करने का सिलसिला शुरू है। इसके साथ ही अभिभावकों की परेशानी भी बढ़ गई है। नए सत्र में नए-नए खर्च अभिभावकों की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। मार्च-अप्रैल में आम तौर पर निजी स्कूलों में नामांकन का दौर चलता है। ऐसे में बच्चों की नई किताब, ड्रेस और कॉपियों की खरीदारी से अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उन्हें एक साथ कम से कम तीन माह की फीस भरनी होती है। ऐसे में बच्चे और अभिभावक खर्च कम करने के लिए पुरानी किताबों का सहारा ले रहे हैं। हालांकि स्कूलों की तरफ से जो भी किताबों की लिस्ट दी जा रही है, उनमें से आधी किताबें नहीं मिलती और जो भी किताब मिलती हैं, उसमें या तो कुछ पाठ जोड़ दिए जाते हैं तो कुछ हटा दिए जाते हैं। कई पाठ ऐसे होते है, जिसे आगे-पीछे कर दिया जाता है। ऐसे में स्कूल...
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