लखनऊ, सितम्बर 5 -- निजीकरण का विरोध अब आईएएस प्रबंधन बनाम अभियंता प्रबंधन की तरफ बढ़ गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मांग उठाई है कि बिजली कंपनियां और पावर कॉरपोरेशन पहले की तरह ही अभियंताओं के हवाले कर दिया जाए। जब से बिजली कंपनियों का प्रबंधन आईएएस देखने लगे हैं, तब से बिजली कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 1959 में राज्य विद्युत परिषद का गठन हुआ था। 41 साल बाद यानी वर्ष 2000 में 10 हजार करोड़ रुपये के घाटे के नाम पर उसे विघटित कर दिया गया। बीते 25 साल से पावर कॉरपोरेशन और बिजली कंपनियों की कमान आईएएस के हाथों में है। घाटा बढ़कर एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये हो गया है। मामले की जांच होनी चाहिए कि केवल 25 साल में ही इतना घाटा कैसे बढ़ गया? बिजली कंपनियों का काम तकनीकी ...