फिरोजाबाद, मार्च 12 -- फिरोजाबाद। होली के रंगों का उल्लास बगैर गीतों के अधूरा लगता है, लेकिन आज युवाओं के बीच में म्यूजिक सिस्टम पर गूंजते हैं फिल्मी गीत। तेज आवाज में गूंजते इन गीतों में म्यूजिक तो होता है, लेकिन वो अपनापन नहीं। कई बार तो गीत अश्लीलता भी प्रदर्शित करते हुए दिखाई देते हैं, जो कहीं कहीं पर झगड़े का सबब बन जाता है। आज की मात्र कुछ घंटे की इस होली को देख बुजुर्गों को अपनी वो होली याद आती है, जब होली से सात दिन पहले से ही गांव में फाग गायकों की चौपाल सजने लगती थी। वो गीत गाने वाले अपने बीच के होते थे तो वो गीत भी अपने लगते थे। होली गायन की यह परंपरा आज भी कहीं कहीं पर जीवित है, लेकिन इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। होली के पर्व पर हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत जब अलीनगर कैंजरा में बुजुर्गों एवं युवाओं से संवाद किया तो हरेक ज...