अलीगढ़, सितम्बर 29 -- अलीगढ़, कार्यालय संवाददाता। धान की फसल कटने के बाद बचे फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण और शारीरिक दोनों तरह के नुकसान होते है। इसी अवशेष को अगर खाद में बदल दिया जाए तो इसके लाभ भी बहुत हैं। कृषि विभाग किसानों को पराली से खाद बनाने को लेकर जागरूक कर रहा है। पूर्व में धान की कटाई के बाद अलीगढ़ में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले हुए थे। मंडल में अलीगढ़ एक नंबर पर पहुंच गया था। इन घटनाओं को देखते हुए गांव-गांव में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को पराली प्रबंधन के तरीके बताए जा रहे हैं। कृषि विभाग के मुताबिक फसल अवशेष जलाने पर पर्यावरण के नुकसान के साथ जमीन को भी नुकसान होता है। भूमि के पोषक तत्वों में कमी आती है। कृषकों को बताया गया है कि 1000 किग्रा. पराली जलाने से 92 किग्रा. कार्बन मोनो ऑक्साइड, 1600 किग्रा. ...
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