चंदौली, जून 23 -- चंदौली। धान की फसल में रोग मृदा, वायु एवं कीटों से फैलते हैं।बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार सम्भव नहीं है। बीज जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव के लिए बीज शोधन एवं भूमि शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसलिए किसानों को बीज शोधन एवं भूमि शोधन आदि महत्वपूर्ण कार्य के प्रति विशेष ध्यान देना होगा। इससे फसलों का उत्पादन अच्छा होगा। वहीं उत्पादन में भी वृद्धि होगी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि बीज शोधन के लिए बीज को रात भर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन पानी से निकाल दें। अतिरिक्त पानी निकल जाने के बाद 2.5-3 ग्राम कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत या थीरम 75 प्रतिशत अथवा 4 से 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा वायोरसायन प्रति किग्रा बीज की दर से 5 लीटर पानी में 10 ग्राम गुड़ के साथ घोलकर बीज में मिला दिया जाए। उसे छाया मे...