नई दिल्ली, अगस्त 6 -- हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों में शोले का नाम लिस्ट में ऊपर रहता है। मूवी 15 अगस्त को 50 साल पूरे करने वाली है। फरहान अख्तर ने एक पॉडकास्ट में बताया कि उनके पिता और सलीम खान ने फिल्म का क्लाइमैक्स कुछ और बनाया था। इसमें ठाकुर गब्बर को जूतों से कुचलकर मार देता है लेकिन सेंसरबोर्ड को यह काफी हिंसक लगा। सेंसरबोर्ड ने थिएटर के लिए वो सीन हटवा दिया था। उस वक्त इमरजेंसी का दौर था तो मेकर्स विरोध नहीं कर पाए।बदलना पड़ा था सीन फरहान अख्तर प्रखर गुप्ता के पॉडकास्ट में थे। फरहान बोले, 'फिल्म का इमोशनल कोर बहुत सशक्त था। ठाकुर ने बदले का प्लॉट तब रचा जब उसके हाथ काट दिए गए थे। हम जय-वीरू की बातचीत में ही खो जाते हैं लेकिन फिल्म की रीढ़ एक ईमानदार पुलिस अफसर था जो एक डकैत के पीछे पड़ जाता है जिसने उसके परिवार को मार दिया। वह दो न...