दिलीप सिंह, अप्रैल 9 -- अखरी गांव का मतलब सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू सिंह परिहार...। रसूख और दबदबे के कारण किसी के बोलने की जुर्रत तो दूर कोई सिर तक नहीं उठाता था। यही वजह रही कि 20 साल से प्रधानी उसके घर में थी। राशन की दुकान भी। चार साल पहले किसान नेता विनोद उर्फ पप्पू सिंह ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने पंचायत चुनाव में पूर्व प्रधान की बहू के खिलाफ मां रामदुलारी को मैदान में उतार दिया। रामदुलारी ने 30 मतों जीतकर मुन्नू का 20 साल का साम्राज्य ढहा दिया। एक साल पहले राशन की दुकान भी चली गई। बस, यहीं से शुरू हुई रंजिश। इस तिहरे हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उसको देखते हुए पुलिस का भी मानना है कि यह वारदात अचानक उपजे गुस्से का नतीजा नहीं है। इसके पीछे पूरी सोची-समझी साजिश रही। मंगलवार सुबह ट्रैक्टर लेकर गुजरा मुन्नू सिंह का ब...