वाराणसी, जुलाई 27 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। प्रेमचंद की लेखनी हाशिए पर रहने वाले दलित और स्त्री समाज को केंद्र में लेकर आई। बूढ़ी काकी कहानी में एक वृद्ध स्त्री के माध्यम से मानवीय मूल्यों के ह्रास को प्रेमचंद ने इंगित किया है। ये बातें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुक्ता ने कहीं। वह रविवार को नवरचना कान्वेंट स्कूल परिसर में महापंडित राहुल सांकृत्यायन केंद्र की ओर से प्रेमचंद की 145 जयंती के उपलक्ष्य में कहानी चित्रण चित्रकला प्रतियोगिता के समापन समारोह में मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने कहा कि रंगभूमि उपन्यास औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश शासन काल में औद्योगिकीकरण से गरीबों के लिए उपजी त्रासदी को दर्शाता है। ये समस्याएं किसी न किसी रूप में आज भी बनी हुई हैं। प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है। अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि प्रे...
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