दलाई लामा, अगस्त 12 -- हम खुशी पाने के लिए जन्मे हैं। यह बात साफ है कि प्रेम, स्नेह, आत्मीयता और करुणा के भाव से खुशी मिलती है। मेरा मानना है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति के पास खुश रहने, खुशी पैदा करनेवाली आत्मीय व करुणामयी मानसिक अवस्था का आधार है। वास्तव में हमारे भीतर करुणा व्यक्त करने की अंतर्जात क्षमता है, बल्कि मैं ऐसा मानता हूं कि मनुष्य का मूल स्वभाव शिष्टता है। 'बुद्ध स्वभाव' का बौद्ध सिद्धांत इस मान्यता के लिए थोड़ा आधार उपलब्ध करवाता है कि सभी चेतन प्राणियों का मूलभूत स्वभाव गुस्सैल न होकर शांत होता है, परंतु 'बुद्ध स्वभाव' के इस बौद्ध सिद्धांत को माने बिना भी व्यक्ति इसे अपना सकता है। इस बात को मानने के पीछे मेरे कुछ और भी कारण हैं। मुझे लगता है कि मानवीय स्नेह या करुणा का विषय सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं है, यह व्यक्ति के द...
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