प्रयागराज, मई 28 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक न्यायपीठ ने धारा 482 सीआरपीसी (अब 528 बीएनएसएस) में दाखिल अर्जी पर प्राथमिकी रद्द करने की हाईकोर्ट की अधिकारिता का मामला नौ जजों की वृहद पीठ को संदर्भित कर दिया है। कोर्ट ने विधिक प्रश्न उठाया है कि क्या हाईकोर्ट धारा 482 के तहत अपनी विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग प्राथमिकी रद्द करने के लिए कर सकता है या नहीं। चित्रकूट के शशांक गुप्ता की 482 की अर्जी पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने यह आदेश दिया। मामले के अनुसार याची के खिलाफ सीजेएम ने पुलिस को मुकदमा दर्ज़ करने का आदेश दिया था। इस मुकदमे को रद्द करने के लिए उसने हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत याचिका दाखिल की। अपर शासकीय अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति की। उनका कहना था कि प्राथमिकी रद्द करने की अधिकारिता अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका में हा...