गोरखपुर, जून 20 -- गोरखपुर, निज संवाददाता। गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित दिग्विजयनाथ स्मृतिभवन सभागार में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर चल रहे साप्ताहिक योग शिविर एवं शैक्षिक कार्यशाला के पांचवें दिन गुरुवार को वक्ता हरिनारायण धर दुबे ने प्राणायाम की वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राण अर्थात चेतना और आयाम का अर्थ है विस्तार और नियंत्रण। इस प्रकार प्राणायाम का अर्थ है, चेतना शक्ति का नियंत्रित और अनुशासित विस्तार। हरिनारायण धर दुबे ने हठयोग प्रदीपिका का उद्धरण देते हुए बताया कि चले वाते चलं चित्तं निश्चले निश्चलं भवेत्, अर्थात जब तक श्वासें चंचल हैं, मन भी चंचल रहता है, और जब श्वास स्थिर होती है, तो मन भी स्थिर हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक शरीर में वायु है, जीवन है, वायु का निष्क्रमण ही ...