नई दिल्ली, दिसम्बर 4 -- सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला का वीडियो रिकॉर्ड करने के मामले में आरोपी को राहत दी है। कोर्ट का कहना है कि अगर किसी महिला का फोटो या वीडियो ऐसे समय में लिया जाता है, जहां वह निजी गतिविधि में नहीं है तो उसे IPC की धारा 354सी के तहत वॉयरिज्म का दोषी नहीं माना जा सकता। साथ ही अदालत ने कहा है कि चार्जशीट दाखिल करते समय पुलिस और आरोप तय करते समय ट्रायल कोर्ट को सावधान रहना चाहिए था। वॉयरिज्म का मतलब है किसी महिला को तब चुपके से देखना या ताक झांक करना, जब वह निजी गतिविधियों में शामिल हो। यह अपराध है। मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस एनके सिंह और जस्टिस मनमोहन ने आरोपी के खिलाफ केस बंद कर दिया। उसके खिलाफ वॉयरिज्म के आरोप लगे थे। आरोप थे कि उसने महिला का वीडियो तब रिकॉर्ड किया था, जब वह विवादित संपत्ति में प्रवेश कर रही थी। कोर्...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.