बगहा, मार्च 13 -- प्रतिमा में जान भरने वाले मूर्तिकारों के जीवन में कई समस्याएं हैं। इनकी बनाई मिट्टी की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा कर लोग घर और पंडालों में पूजते हैं। इनकी पीड़ा है कि उन्हें सरकार से लेकर प्रशासन तक की उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ रहा है। मूर्तिकारों की माली हालत खराब हो गई है। उनका कहना है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां बाजार में आ गई हैं। इसके बाद से मिट्टी की बनी मूर्तियों को कोई नहीं पूछता है। दुर्गापूजा और सरस्वती पूजा में तो इनकी कुछ कमाई हो जाती है। इसके बाद वे काम के लिए तरस जाते हैं। सुनील मूर्तिकार, मीना देवी आदि बताती हैं कि हमलोग घर में ही मूर्ति बनाते हैं। कोई दुकान या उस तरह का स्थायी ठिकाना नहीं है। दुकान बनाने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत है, लेकिन पूंजी के लिए बैंक लोन देने में आनाकानी करता है। नगर के...