बगहा, अगस्त 25 -- केक की दुकानों में काम करने वाले कारीगर गांव देहात से प्रतिदिन बेतिया आते हैं। ऐसे कारीगरों के पास अभी भी स्थाई आवास की सुविधा नहीं है। इससे मकान का किराया देने में कमाई का अधिकांश हिस्सा निकल जाता है। दुकान में काम करने वाले कारीगरों को स्थाई निवास की सुविधा मिल जाए तो वह निश्चिंत भाव होकर काम कर सकेंगे। विगत एक दशक के दौरान बेतिया शहर में केक की दुकानों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पहले इक्का-दुक्का केक की दुकान हुआ करती थी, आज के समय में बेतिया शहर में अलग-अलग चौक चौराहों पर 50 से अधिक केक की दुकानें हैं जिसमें काम करने वाले कारीगरों की संख्या 500 सौ से अधिक है। ऐसे प्रतिष्ठानों के मालिकों की समस्याएं भी कई तरह की हैं। ब्रांडेड केक दुकान के मालिकों ने बताया कि आजकल हर छोटे-छोटे अवसर पर भी लोग अपने खुशियों को मनाने क...