मथुरा, जनवरी 31 -- सुदामा कुटी नाभापीठ में चल रहे दस दिवसीय जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज की जयंती महोत्सव के अंतर्गत विद्वत संगोष्ठी हुई। अध्यक्षता करते हुए नाभा पीठाधीश्वर सुतीक्ष्ण दास ने कहा कि रामानंद एक वैष्णव संत थे। उन्हें रामानंदी संप्रदाय को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। रामानंद ने अपना अधिकांश समय वाराणसी में बिताया। ब्रजविहारी दास भक्तमाली ने कहा कि उत्तरी भारत के रामानंद एक प्रभावशाली समाज सुधारक थे। इसके अलावा रामानंद ने आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने वाले धार्मिक पंथ को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जानकी शरण भक्तमाली ने कहा कि भगवान राम ने कभी भी किसी भी जाति के व्यक्ति को अपने पास आने से नहीं रोका। इसलिए रामानंद को एहसास हुआ कि हर कोई भगवान की पूजा कर सकता है। संत राममोहन दास रामायणी न...