धनबाद, दिसम्बर 22 -- धनबाद, प्रमुख संवाददाता मेमको मोड़ स्थित एक कैफे में रविवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रख्यात आलोचक प्रो. संतोष भदौरिया की उपस्थिति में मित्र-संवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में धनबाद के कवि, लेखक एवं प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस अवसर पर लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित प्रो. भदौरिया की पुस्तक ब्रिटिश राज और हिंदी की प्रतिबंधित पत्रकारिता पर विमर्श हुआ। लेखकीय वक्तव्य में प्रो. भदौरिया ने कहा कि प्रतिबंधित साहित्य कल्पनालोक नहीं, बल्कि यथार्थ की ठोस जमीन पर खड़ा है। इन पत्र-पत्रिकाओं पर प्रतिबंध इसलिए लगा क्योंकि उनमें सुराज की चेतना, युवाओं का तेवर और किसानों-मजदूरों का यथार्थ चित्रण था। कवि व आलोचक बलभद्र ने पुस्तक को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें ब्रिटिशकालीन हिंदी पत्रकारिता के जनोन्मुख, ...