मुजफ्फरपुर, अप्रैल 9 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। प्रेमचंद ने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अधिवेशन में ही स्पष्ट किया था कि हमें जीवन और साहित्य को देखने का नजरिया तथा साहित्य का मेयार बदलना होगा। हमे लिंग, जाति, धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक समानता की लड़ाई तेज करनी होगी। अब सभी वंचित तबकों को उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा। ये बातें बुधवार को प्रगतिशील लेखक संघ के 90वां स्थापना दिवस पर प्रलेस, मुजफ्फरपुर की ओर से 'लोकतंत्र की चुनौतियां और साहित्य' विषय पर आयोजित व्याख्यान में लेखक-आलोचक प्रो. गोपेश्वर सिंह ने कही। प्रो. सिंह ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य संबंधी दृष्टिकोण व अवधारणा को आज जमीन पर उतारने की आवश्यकता है। आज प्रगतिशील समाज को चाहिए कि वह पूंजी, बाजार, जाति, सांप्रदायिकता से लड़े। मध्यवर्ग को चाहिए कि वह सामाजिक असमानता के खिल...
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