बागपत, अगस्त 7 -- जैन समाज में उस समय शोक की लहर दौड़ गई जब गुरुदेव सेठ प्रकाशचंद जी महाराज का संथारा ग्रहण करते हुए हरियाणा के गोहाना में देवलोक गमन हो गया। गुरुदेव का जन्म 1 जनवरी 1929 को हुआ था और मात्र 16 वर्ष की आयु में 18 जनवरी 1945 को उन्होंने संयम जीवन को अपनाते हुए दीक्षा ली थी। वर्तमान समय मे वे स्वतंत्रता से पहले दीक्षित होने वाले जैन समाज के एकमात्र संत थे, जिनका संयमी जीवन आज तक समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा। गुरुदेव की देवलोक यात्रा की सूचना मिलते ही जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ौत स्थित श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन स्वाध्याय संघ द्वारा श्रद्धांजलि सभा संघ के सदस्य कमल जैन के निवास पर आयोजित की गई, जिसमें दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित हुए। सभा में कमल जैन ने कहा कि महाराज श्री का संयमी जीवन, मौन साधना, तप और आत्मनिष...