बगहा, जून 6 -- साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज में घट रही घटनाओं को साहित्यकार अपनी लेखनी से सही और गलत के अंतर को रेखांकित करते हैं। समाज को नई दृष्टि देते हैं। लेकिन पश्चिमी चंपारण में साहित्यकारों की समक्ष आज कई तरह की चुनौतियां पेश आ रही हैं। एमजेके कॉलेज में पूर्व हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे वरीय साहित्यकार डॉ परमेश्वर भक्त बताते हैं कि आज साहित्यकार समझते हैं कि जो भी उन्होंने लिख दिया है वह छपना चाहिए। कई साहित्यकार ऐसे हैं जो अपनी लेखनी को ही गौर से पढ़ेंगे तो उसमें व्याकरण का बोध दिखाई नहीं देगा। कई प्रकाशक तो साहित्यकारों का पैसा लेकर भाग जाते हैं। साहित्यकारों के समक्ष सम्मान की भी समस्या है, जो साहित्यकार लिख रहे हैं उन्हें एक दूसरे के प्रति सम्मान भी करना चाहिए। शहर के वरीय साहित्यकार डॉ. गोरख मस्ताना बताते हैं कि चंपारण आद...