नई दिल्ली।, अगस्त 20 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्यार दंडनीय नहीं है और इसे अपराध नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किशोर या लगभग वयस्क होने की कगार पर खड़े युवा अगर वास्तविक प्रेम संबंध में हैं तो उन्हें अकेला छोड़ देना चाहिए। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ POCSO एक्ट के दुरुपयोग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा कि POCSO बच्चों की सुरक्षा का महत्वपूर्ण कानून है, लेकिन इसमें शोषण और किशोरों के बीच सहमति आधारित संबंधों में फर्क करना जरूरी है। पीठ ने कहा, "क्या आप कह सकते हैं कि प्यार अपराध है? ऐसे मामलों में मुकदमे से किशोरों पर स्थायी आघात होता है।" सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की याचिकाओं को भी खारिज कर द...
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