नई दिल्ली, जुलाई 2 -- राजस्थान हाईकोर्ट ने देश की भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को लेकर बड़ा सवाल उठाया है। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने कुपोषण की समस्या पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए सख्त टिप्पणी की कि बच्चों और महिलाओं को पोषणयुक्त भोजन नहीं मिल पाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने दो टूक कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एफएसएसएआई कानून को ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा, जिससे अस्वास्थ्यकर भोजन और मोटापा बढ़ रहा है। इससे बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक विकास बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। "भविष्य खतरे में, कोर्ट आंखें बंद नहीं कर सकता" कोर्ट ने दो टूक कहा कि जब देश के बच्चों का स्वास्थ्य और भविष्य खतरे में हो, तो अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती। जस्टिस ढंड ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में विफल ...