नई दिल्ली। हेमलता कौशिक, सितम्बर 7 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि बाल यौन शोषण की शिकार पीड़िता के बयान ही आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़िता के बयानों पर भरोसा कर दोषी की 12 साल की सजा बरकरार रखी। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने पॉक्सो केस के तहत दोषी की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यौन अपराध के मामलों में पीड़िता का दर्द इतना गहरा होता है कि उस पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं है। फिर यहां तो एक महज दस साल की बच्ची का मामला है। इस मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट की विशेष पॉक्सो अदालत ने आरोपी टोनी को 25 फरवरी 2019 को दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था और 27 फरवरी को सजा सुनाई थी।क्या था मामला 4 अगस्त, 2017 को 10 वर्षीय बच्ची ने आरोप लगाया था कि अपीलकर्ता ...