नई दिल्ली, सितम्बर 7 -- मदन जैड़ा नई दिल्ली। सड़क या किसी अन्य हादसे का शिकार होने वाले ज्यादातर मरीज पैसों की कमी के कारण अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। निजी अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीजों को मजबूरी में सरकारी अस्पताल का रुख करना पड़ता है। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लूर की ओर से उसके ट्रॉमा केयर सेंटर में इलाज के लिए आने वाले मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन को हाल में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने प्रकाशित किया है। अध्ययन में सामने आया है कि आपातकालीन स्थितियों में भी लोग निजी अस्पताल का बिल भर पाने में असमर्थ हैं, जिस कारण उन्हें इलाज बीच में छोड़ने का खतरा मोल लेना पड़ता है। ट्रॉमा केयर सेंटर में गंभीर किस्म के रोगियों को भर्ती किया जाता है। ज्यादातर ऐसे रोगी होते हैं, जो सड़क या किसी अन्य...