श्रुति कक्कड़, जुलाई 27 -- दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे दोषियों को पैरोल या फर्लो पर रिहा करते समय अस्पष्ट या सामान्य बयान जारी करने के बजाय स्पष्ट रूप से आत्मसमर्पण की तारीख बताते हुए एक लिखित आदेश जारी करें। अदालत ने कहा कि निरक्षरता या अज्ञानता के कारण तथा रिहाई पत्र पर कोई निर्धारित तारीख नहीं होने की वजह से कैदियों द्वारा समय पर आत्मसमर्पण नहीं किया जाता है, जिसके चलते उन्हें सजा भुगतनी पड़ती है। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने शुक्रवार को हत्या के दोषी एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अपनी याचिका में उसने सक्षम अधिकारी द्वारा अक्टूबर 2024 में उसके फर्लो आवेदन को खारिज करने के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार उसका फर्लो आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया ग...
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