बगहा, फरवरी 14 --   जिले के हजारों बढ़ई मिस्त्री फर्नीचर बनाने के हुनर होते हुए भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर काम के अभाव में उन्हें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। बेहतर प्रशिक्षण की कमी व पूंजी संकट के कारण वे ब्रांडेड कंपनियों की चुनौतियों से स्पद्र्धा करने में पिछड़ जा रहे हैं। बेतिया शहर में इस समाज के सात हजार से अधिक सदस्य मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं। ब्रांडेड कंपनियों के आकर्षक फर्नीचर बाजारों में आने से इनके व्यवसाय और आय पर असर पड़ा है। वे बताते हैं कि कंपनियों के उत्पाद को वे स्थानीय स्तर पर बना सकते हैं लेकिन फिनिशिंग की राह में तकनीक की कमी व पूंजी का संकट बड़ी बाधा है। वे स्वरोजगार के लिए ऋण लेना चाहते हैं, लेकिन आसानी से नहीं मिलता है। बाजार में नई मशीनें आ गयी हैं, ...