नई दिल्ली, मार्च 12 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुष्टि साक्ष्य के अभाव में मृत्यु पूर्व दिए गए संदिग्ध बयान के आधार पर किसी को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने पत्नी की हत्या करने के आरोपी को बरी करते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान को एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है और इसके आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है क्योंकि आपराधिक कानून में इसका अत्यधिक महत्व है। हालांकि पीठ ने साफ किया कि आरोपी को दोषी ठहराने के लिए जरूरी है कि मृत्यु पूर्व दिए गए बयान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ ही ‌मामले के संपूर्ण तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा है कि यदि मृत्यु पूर्व दिए गए बयान में किसी भी तरह की संदिग्...