चतरा, जुलाई 17 -- प्रतापपुर प्रतिनिधि झारखंड में मॉनसून की दस्तक के साथ ही चतरा जिले के प्रतापपुर प्रखंड स्थित सिद्धकी पंचायत के हिंदीयाखुर्द गांव के मासूम बच्चों के लिए शिक्षा एक जानलेवा चुनौती बन गई है। यहां के नौनिहाल उत्क्रमित प्राथमिक बिरहोर टोला सुरही विद्यालय जाने के लिए हर दिन तेज धार वाली नदी को जान जोखिम में डालकर पार करने को मजबूर हैं। नदी पर पुल न होने से यह संघर्ष कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। जिससे कई परिवारों के घर का चिराग बुझ सकता है। यह स्थिति गांव की दशकों पुरानी उपेक्षा को दर्शाती है। हिंदीयाखुर्द गांव में यह समस्या कोई नई नहीं है। सरकारें आईं और गईं, लेकिन विकास की किरणें यहां तक नहीं पहुंचीं। चतरा का हिंदीया खुर्द और हिंदीयकला गांव पूर्व में नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता था। जिस कारण विकास कार्य ठप थे...