देहरादून | रवि बीएस नेगी, नवम्बर 26 -- ट्रेड यूनियन से अपनी पहचान बनाने वाले दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सबसे बड़े अगुआ बनकर उभरे थे। बीएचईएल की नौकरी छोड़ उन्होंने इस आंदोलन की कमान संभाली और ऐसी प्रभावशाली आवाज बने कि दिल्ली तक पहाड़ की पीड़ा गूंजी। उनके नेतृत्व ने तब यूपी से अलग राज्य की लड़ाई को निर्णायक मोड़ दिया था। टिहरी के सुपार पट्टी बडियारगढ़ के भोलादत्त भट्ट के परिवार में चार दिसंबर 1944 को जन्मे दिवाकर की प्राथमिक शिक्षा से लेकर हाईस्कूल तक की पढ़ाई से हुई। हरिद्वार के कनखल से 12वीं के बाद 1967 में श्रीनगर गढ़वाल से आईटीआई किया और आईडीपीएल में 1969 तक सेवाएं दीं। दिवाकर ने यहां से त्यागपत्र देने के बाद बीएचईएल रानीपुर हरिद्वार में नौकरी के साथ 1970 में सामाजिक संस्था तरुण हिमालय का गठन किया। वे सामाजिक आंदोलन में लगा...
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