लखनऊ, सितम्बर 5 -- विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने टैरिफ बेस्ड कंप्टीटिव बिडिंग (टीबीसीबी) के कारण पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रभावित होने का आरोप लगाया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि कंपनी को स्टेट ट्रांसमिशन कंपनी ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला है। टीबीसीबी से निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर निजीकरण नहीं रोका गया तो पावर ट्रांसमिशन कंपनी कुछ ही वर्षों में समाप्त हो जाएगी और इसकी श्रेष्ठता इतिहास की बात हो जाएगी। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि टीबीसीसी के कारण नई बनने वाली ट्रांसमिशन की सभी परियोजनाएं, उप केंद्र और लाइनें निजी क्षेत्र में जा रही हैं। 220 केवी और ऊपर की क्षमता का एक भी उपकेंद्र या लाइन ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन नहीं बना पा रहा है। सारा काम या तो पावर ग्रिड या निजी क्षेत्र के पास जा रहा है। टीबीसीबी के च...