जहानाबाद, सितम्बर 6 -- किंजर, एक संवाददाता। पंडित राजेश मिश्रा के अनुसार शास्त्रों में पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान करने का बड़ा ही महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री रामचंद्र एवं जगत जननी माता सीता ने भी वनवास काल के समय इसी पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान कर गया जी धाम में श्राद्ध के लिए प्रस्थान किए थे। वहीं महाभारत काल में अज्ञातवास में पांचो कुंती पुत्रों द्वारा मगध क्षेत्र के पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान करने का वर्णन मिलता है। बताते चले कि पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान का प्रथम द्वार कहा जाता है। पुनपुन नदी में ही पिंडदान करने के बाद श्रद्धालु गया जी धाम स्थित फल्गु नदी में जाकर पिंडदान का अनुष्ठान पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर पुनपुन नदी में पिंडदान किए बिना कोई जाकर पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए गया जी में पिंडद...