बदायूं, अगस्त 29 -- गांव गुधनी के प्रज्ञा यज्ञ मंदिर में चल रही सात दिवसीय वेद कथा के दूसरे दिन आचार्य संजीव रूप ने कहा कि धन दो प्रकार का होता है, एक धन वह होता है जो नौकरी करके, खेती करके, मजदूरी करके या व्यापार करके कमाया जाता है। उस धन को हम अनेक प्रकार के सुख सुविधाओं के लिए उपयोग में लाते हैं, किंतु दूसरा धन वह होता है जो पुण्य कहलाता है और वह धन औरों को सुख देने से मिलता है। दुःखी लोगों के साथ अगर आप दुःखी होते हैं तो आपका पुण्य रूपी धन बढ़ता है। कथा में मास्टर अगर पाल सिंह, विश्वजीत आर्य , राकेश आर्य, अनुज कुमार सिंह, चन्नू सिंह, दुर्वेश कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।

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