दरभंगा, मार्च 23 -- दरभंगा। प्रवासी बिहारी बिहार से दूर हो सकते हैं, लेकिन अपने सपने, अपनी बोली तथा संस्कारों की बदौलत बिहार की अस्मिता तथा पहचान महाराष्ट्र सहित देश के हर कोने में जिंदा है। मैं महाराष्ट्र के प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूं जिन्होंने प्रवासी बिहारियों को उनके सपनों को साकार करने का अवसर दिया। ये बातें दरभंगा के सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने बिहार फाउंडेशन की ओर से बिहार दिवस पर पुणे के कोरेगांव में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में कही। सांसद डॉ. ठाकुर ने कहा कि बिहार का लिट्टी-चोखा, मखाना की खीर व छठ पूजा का उमंग यह साबित करता है कि बिहार सिर्फ एक जगह नहीं, एक जज्बा और पहचान है। न्याय दर्शन, वैशेष्य दर्शन, सांख्य दर्शन तथा योग दर्शन के रूप में चार दर्शनों की उत्पति भी बिहार में ही हुई थी। बौद्ध तथा जैन धर्म के रूप में बिहार न...