नई दिल्ली, अक्टूबर 6 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला का आरोपी से परिचित होने का मतलब यह नहीं है कि उसने आरोपी को अपने साथ यौन उत्पीड़न की अनुमति दी है। परिचित होना या आरोपी के कमरे जाना एक सामान्य बात है। इन हालातों में भी पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न एक अपराध है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।पीड़िता को जिम्मेदार नहीं मान सकते न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि पीड़िता आरोपी को जानती थी या उसके साथ पीड़िता के सौहार्दपूर्ण संबंध थे। पीड़िता को खुद के साथ यौन उत्पीड़ित होने का जिम्मेदार नहीं माना जा सकता।निचली अदालत के आदेश को चुनौती पीठ एक शिकायतकर्ता (जो एक पत्रकार एवं जेएनयू में पीएचडी छात्रा है) की ओर से दाखिल की गई याचिका पर विचार कर रही है। पीड़िता ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें निचल...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.