बिजनौर, सितम्बर 21 -- पितृ विसर्जन अमावस्या रविवार को पितरों को भोज कराया गया। अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों को विदाई दी जाती है और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। यह दिन उन पितरों के लिए समर्पित है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध नहीं किया जा सका है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करके विदाई दी जाती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और तर्पण पूरे वर्ष का पितृ ऋण उतार देता है और परिवार में सुख-समृद्धि लाता है। पितरों की आत्मा तृप्त होकर वंशजों को आशीर्वाद देती है। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते है। इसके बाद पितरों को तर्पण और विसर्जन किया जाता है। तर्पण मे तिल, जल, पुष्प और चावल का उपयोग करके पितरों को जल अ...