गोपालगंज, सितम्बर 28 -- बैकुंठपुर। एक संवाददाता माता जानकी के साथ स्वयंवर के बाद प्रभु श्री राम बहुत कम समय के लिए ही राजमहल का सुख भोग पाए। अपनी माता कैकई की प्रसन्नता एवं पिता महाराजा दशरथ की आज्ञा का पालन करने के लिए प्रभु श्री राम 14 वर्षों के लिए वनवास जाने को तैयार हो गए। अचानक राजकुमार से बनवासी का रूप धारण करना साधारण मनुष्य के लिए कठिन है। लेकिन, प्रभु श्रीराम ने रघुकुल की रीति को कायम रखते हुए एक मिसाल पेश की थी। यह बातें प्रयागराज से पधारीं कथा वाचिका जयंती शास्त्री ने शनिवार की रात में प्रखंड के उसरी गांव स्थित मंदिर परिसर में आयोजित श्रीराम कथा महायज्ञ के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए सभी तरह की सुख सुविधा को छोड़कर वन-वन भटकने वाले प्रभु श्री राम ने 14 वर्षों के दौरान जगत कल्याण के लिए कई...
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